~~~अदभुत है आनंद उसका ~~~
Osho Fragrance
मनुष्य को बनना है दर्पण ;
चुप,
एक लहर भी न हो मन पर ।
तो उसी क्षण में,
जो है ........
उसी का नाम
परमात्मा हम कहें ,
सत्य कहें,
जो भी नाम देना चाहें ।
नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता है ।
नाम के झगड़े सिर्फ बच्चों के झगड़े हैं ।
कोई भी नाम दे–दें –
एक्स ,वाय ,जेड कहें तो भी चलेगा ।
वह जो है ,
अननोन ,
अज्ञात ,
वह हमारे दर्पण में प्रतिफलित हो जाता है
और हम जान पाते हैं ।
तब है आस्तिकता ,
तब है धार्मिकता,
तब धार्मिक व्यक्ति का जन्म होता है ।
अद्भुत है आनंद उसका ।
सत्य को जानकार कोई दुखी हुआ हो ,
ऐसा सुना नहीं गया ।
सत्य को बिना जाने कोई सुखी हो गया हो,
ऐसा भी सुना नहीं गया ।
सत्य को जाने बिना आनंद मिल गया हो किसी को ,
इसकी कोई संभावना नहीं है ।
सत्य को जानकर कोई आनंदित न हुआ हो ,
ऐसा कोई अपवाद नहीं है ।
सत्य आनंद है ,
सत्य अमृत है ,
सत्य सब कुछ है –
जिसके लिए हमारी आकांक्षा है
जिसे पाने की प्यास है,
प्रार्थना है ।
- ओशो
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