शहरकी दौडमें दौडके करना क्या है?
जब यही जीना है तो फिर मरना क्या है?
पहली बारिशमें ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गए भीगते हुए टहलना क्या है?
सिरियल्सके किरदारोंका सारा हाल है मालूम,
पर माँका हाल पूछने की फुर्सत किसे है?
अब रेतपे नंगे पाँव टहलते क्यों नही?
108 है चैनल फिरभी , दिल बहलता क्यों नही?
इंटरनेटसे दुनियाके तो टचमें है
लेकिन पडोसमें कौन रहता है जानते तक नही?
मोबाईल, लेंडलाइन सबकी भरमार है
मगर जिगरी दोस्त तक पहुचे ऐसे तार कहा है?
कब डूबते हुए सूरज को देखा था याद है?
कब जाना था शाम का वो बनना क्या है?
तो दोस्तों, शहर की इस दौडमें
दौड के करना क्या है?
जब यही जीना है, तो फिर
मरना क्या है?
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